Add To collaction

लेखनी कहानी -16-Jan-2023 11)वो ग्रेजुएशन के तीन साल( स्कूल - कॉलेज के सुनहरे दिन



शीर्षक = वो ग्रेजुएशन के तीन साल



कॉलेज यानी की उच्च शिक्षा प्राप्त करने की जगह, अब तक हमने अपने संस्मरण में स्कूल जीवन का वर्णन किया जो की एक बहुत ही सुनेहरा दौर था, ना कमाने की फ़िक्र ना खाने की चिंता और ना ही कोई ज़िम्मेदारी सिर्फ किताबों से लधे बसते के अलावा,


स्कूल और कॉलेज / यूनिवर्सिटी में इतना अंतर है, स्कूल में कांधो पर किताबों का बोझ अधिक होता है और ज़िम्मेदारी कोई नही, लेकिन कॉलेज आते आते किताबें तो कम हो जाती है लेकिन ज़िम्मेदारियों का एहसास होने लगता है, अब कांधो पर किताबों के साथ ज़िम्मेदारियों का भी बोझ होने लगता है


कॉलेज का समय और स्कूल का दौर दोनों ही अलग अलग है मेरे नजरये से, क्यूंकि स्कूल में चाहे जितनी भी मस्ती क्यूँ ना करें, शरारत क्यूँ ना करे लेकिन कभी ध्यान इस तरफ नही जाता की आगे क्या होगा, क्या बनेगा हमारा, कही नौकरी मिलेगी भी या नही, कोई हमें मुलाजिम रखेगा भी या नही, हम जो पढ़ रहे है वो आगे हमारे काम भी आएगा या नही, हमें अपनी जीवन याचिका चलाने के लिए अभी कितने धक्के और खाने पड़ेगे, पिता का सहारा, माँ की ख्वाहिशों और बहन की ज़रूरतों को पूरा कर भी पाएंगे या नही


जो उम्मीदें उन्होंने हम से लगायी है, उन उम्मीदों पर खरे उतर भी पाएंगे या नही, बस यही सब ख्याल हर दम मन में चलते रहते है, कॉलेज के दिनों में

लड़के हो या लड़कियां दोनों के ही मन में इस तरह के विचार आते ही है,

आइये मैं इस आख़री संस्मरण में, प्रतियोगिता के आख़री चरण में अपनी शिक्षा के आखिरी पायदान तो नही अलबत्ता कह सकते है की ग्रेजुएशन के बाद हमारी शिक्षा का सफर टहर सा गया है


आइये कॉलेज के उन पलों को आपके साथ साँझा करते है, जैसा की हमने बताया की बारहवीं के बाद हमने कई संस्थानों की प्रवेश परीक्षा में अपनी भागी दारी दिखाई लेकिन बदकिस्मती से उनमे से किसी भी संस्थान में हमारा दाखिला नही हो पाया


जिसके चलते अब बस एक ही रास्ता बचा था और वो था, हमारे अपने शहर और हमारे जिला के सबसे बड़े सरकारी कॉलेज में अपने दाखिले की अर्जी देना यानी की प्रवेश लेने के लिए फॉर्म भरना जहाँ पर आपको दाखिला प्रवेश परीक्षा देकर नही बल्कि आपके दसवीं और बारहवीं के आंको पर मिल जाता है


हमने दोनों कॉलेज में फॉर्म डाल दिया था, और दोनों में ही हमारा नाम अंकित हो गया था, लेकिन हमने घर वालों के कहने पर हमारे जिला के डिग्री कॉलेज रजा डिग्री कॉलेज में B. Sc में दाखिला ले लिया


उसके साथ ही हमारे क्लास के बच्चें जो बारहवीं में हमारे साथ थे उन्होंने भी कुछ ने दाखिला लिया, कॉलेज में भी पुराने दोस्तों का साथ पाकर अच्छा लगा


वो कॉलेज जिसमे हमने रेगुलर कैटगरी में दाखिला लिया था, लेकिन कभी रोज़ जा नही सके, सिर्फ कोचिंग के माध्यम से ही पढ़ाई की और साथ ही साथ एक दो जगह काम भी करते रहे

उन कॉलेज में कोई ऐसी पाबन्दी नही होती की आपको क्लास अटेंड करना ही है, इसलिए बस कभी कभी हफ्ते पंद्रह दिन में चककर लगा आते, बाकी तो घर से और कोचिंग से पढ़ाई चल रही थी और एक आद जगह नौकरी भी कर रहे थे


कॉलेज की तो ज्यादा नही लेकिन कोचिंग में बहुत ज्यादा मस्ती करते थे,अध्यापक भी अच्छे थे ज्यादा सख्त नही थे, बीच बीच में मनोरंजन होता रहता था, कोई हसीं मज़ाक का टॉपिक छिड़ जाता, तो कभी कभी अध्यापक भी अपने जीवन के संघर्ष का व्याख्यान करने बैठ जाते इसी तरह हमारी पढ़ाई चलती रहती


कॉलेज में हमने NCC भी ज्वाइन की थी लेकिन किन्ही कारणों वश पूरा नही कर पाए उसका अफ़सोस हमें जिंदगी भर रहेगा कहते है उसके दस अंक जुड़ते है


नही मालूम वो तीन साल किस तरह छू होकर उड़ गए मालूम ही नही पड़ता, कल का ही दिन लगता है, जो दोस्त कभी मिल जाते थे, अब वो सब अपने अपने कामों से लग गए, किसी के पास समय नही बैठ कर बात चीत करने का


पढ़ाई ख़त्म होने के बाद एक आद जगह काम किया और उसके बाद हम बाहर आ गए, बस इतनी सी थी हमारी शिक्षा की कहानी, जो की आज आप सब के समक्ष लेखनी के द्वारा रखने का मौका मिल पाया

अब भी हम बहुत कुछ सीखने का प्रयास करते रहते है फिर चाहे वो पढ़ाई से सम्भंदित हो या फिर किसी और चीज से, लेखनी के माध्यम से भी हमें बहुत कुछ सीखने को जानने को मिलता रहता है, उसके द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं के माध्यम से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है, हमारे साथी लेखकों की कहानियाँ और कविताएं पढ़ कर हमें हौसला मिलता है

उसी के साथ साथ बहुत कुछ सीखने को और अपने देश के बारे में जानने को मिलता है, जो शायद हम स्कूली जीवन के दौरान नही जान पाए,

हर प्रतियोगिता की भांति इस प्रतियोगिता में भाग लेने पर एक बार फिर हमें अपने अतीत में झाँकने का मौका मिला, और फिर उन यादों को याद कर मुस्कुराने का मौका मिला जिन पर वक़्त की धूल जम गयी थी और इस भागती जिंदगी में समय नही था उन्हें याद करने का, लेकिन इस प्रतियोगिता के माध्यम से एक बार फिर उन सुनहरे दिनों को याद करने का मौका मिल पाया, वही दोस्त वही स्कूल वही यादें एक बार फिर जहन के परदे पर चल चित्र की भांति चलने लगी है, जिन्हे देख मन भर आया और आँखे नम हो गयी, लिखने को तो अभी बहुत कुछ बाकी है, लेकिन समय अवधि ख़त्म होने की वजह से हम अपने संस्मरण को यही समाप्त करते है और इंतज़ार रहेगा इसी तरह की अन्य प्रतियोगिता का जिसके माध्यम से गुज़रे वक़्त की यादों को एक बार फिर से ताज़ा किया जा सके


ज़ब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद आप सब ही का मेरे साथ आखीर तक बंधे रहने के लिए और साथ ही साथ लेखनी टीम का भी आभार जिन्होंने प्रतियोगिता की समाप्ति तिथि आगे बड़ा कर हमें लिखने का समय दिया


समाप्त


स्कूल / कॉलेज के सुनहरे दिन 

   16
6 Comments

Radhika

09-Mar-2023 01:38 PM

Nice

Reply

प्रिशा

02-Feb-2023 10:02 PM

बहुत सुंदर 👌

Reply